________________
श्रेष्ठसागर, चारित्रसागर, प्रबोधसागर एवं प्रशस्तसागर के त्याग तपस्थली ग्राम सनावद को प्राप्त हुआ।
73
संघ पवासिउ मेह अणंदा, वारस किज्जउ घोर घणंदा .
मोतियसागर चोक्कउ भुंज, पच्छ मुणीसउ बेडिय पत्तो॥3॥ यहाँ आनंद युक्त मेघ प्रवास हेतु मानो जल प्रवाह कर अपने जहाँ रूपी मोतियों से क्षुल्लक मोतीसागर के परिजनों को चौका लगाने का अवसर दे देते। इसके पश्चात् संघ संध्या में बेड़िया पहुंचा।
॥ इदि एगारहसम्मदी समत्तो॥
216 :: सम्मदि सम्भवो