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सुद- पंचमी - आइरिय-पदारोहण दिवसो
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जेटुस्स सुक्कसुद - पंचमि आदिएज्जा तत्थं च आदिमुणि णाह-गणिं पदं च । गामाणुगाम-विहरंत - सुसिद्ध-खेत्तं पत्तो इमो मुणिवरो वर - सिद्ध- कूडे ॥66 ॥
ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी का दिवस श्रुत पंचमी दिवस भोपाल में मनाया गया। यहीं पर आचार्य आदिसागर का आचार्य पदारोहण समारोह आयोजित किया गया । फिर संघ ग्रामानुग्राम विहार करता हुआ सिद्धक्षेत्र सिद्धवरकूट पहुँचा ।
सिद्धवरकूडो
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खाते हुगाम- णिगडे णव-खेत्त- पत्तो मावरं तथ विहार-कुणंत - संघो । विस्सामएज्ज दुवि णम्मद ठाण- एगे किंचिं खणे हुइध मेह-समूह दाणं ॥67 ॥
खाते गांव के निकट नव विकसित सिद्धोदय क्षेत्र नेमावर को प्राप्त हुए। वहाँ विहार करते हुए एक नर्मदा के तट वाले स्थान पर विश्राम करते हैं। कुछ ही समय पश्चात् मेघ समूह नीर दान कर देते हैं।
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एसो संत-तव-सील - मुणीस - संघो एत्थं विजाण - जल-मेह - विसिंचमाणा । तप्पे अहिल्ल-तव-संत पवाह-वाउं णं सम्मदिं च चरणेसु णमंत - चिट्टे ॥68 ॥
यह संघ प्रशान्त तप शील मुनीष जैसे ही यहाँ आता वैसे ही ये मेघ उन तपस्वियों मुनियों के ताप मिटाने वायु प्रवाह और मेह जल सिंचित करता हुआ उन सन्मति सागर के चरणों में मानो नमन हेतु ही स्थित हो गया हो ।
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घोसे हु सामइग-चिट्ठ-बहुल्ल-णीरे सिंहो जलं च पिवएज्ज इधेव ठाणे ।
214 :: सम्मदि सम्भवो