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णमो सिद्धाणं पद : समीक्षात्मक परिशीलन
| निर्युक्ति और भाष्य लिखे गए। यह दस उद्देशकों में विभाजित है । इसमें कहा गया है कि अज्ञान और | प्रमाद के कारण कोई दोष लग जाए तो आलोचना और प्रायश्चित्त करना चाहिए ।
प्रायश्चित्त किस प्रकार किये जाएं, इस संबंध में इस में विवेचन किया गया है। साधु साध्वी के आहार-व्यवहार, एकाकी - विहार इत्यादि के संदर्भ में अनेक नियमों का इसमें वर्णन आया है । भिक्षु प्रतिमा तथा आचार्यों, अंतेवासियों और स्थविरों के भेद आदि का भी इसमें विवेचन है।
इसमें स्वाध्याय करने की विशेष प्रेरणा दी गई है। योग्य समय में स्वाध्याय करने को कहा है, अयोग्य समय में नहीं । साधु के आवास-स्थान, शास्त्राध्ययन, चर्या, तपस्या आदि का विस्तार से इसमें विवेचन हुआ है। यह ६०० श्लोक-परिमित है।
२. बृहत्कल्प - सूत्र
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इस सूत्र में जैन श्रमणों की प्राचीन आचार संहिता का विवेचन है । इसमें छह उद्देशक हैं । उनमें स्थान, वस्त्र, पात्र, आदि का वर्णन है, जो साधु, साध्वी के लिये संयम पालन में सहायक तथा बाधक दोनों ही वन सकते हैं। यदि उन्हें नियमपूर्वक ग्रहण किया जाय तो वे साधु-चर्या के सम्यक् निर्वाह में सहायक सिद्ध होते हैं और यदि अनियमित रूप में उनका सेवन किया जाय तो संयम में बाधक और विघ्नोत्पादक होते हैं ।
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इस सूत्र में साधु, साध्वी के विहार-संबंधी नियमों का प्रतिपादन है किन स्थितियों में एक साधु एक साध्वी को या एक साध्वी एक साधु को सहयोग करे - इस संबंध में वर्णन किया गया है । इसके रचनाकार आचार्य भद्रबाहु माने जाते हैं। इसमें ४३७ श्लोक-प्रमाण सामग्री है ।
३. निशीथ - सूत्र
संस्कृत में निशीथ का अर्थ 'अर्धरात्रि' है। अर्धरात्रि अंधकार बहुल होती है। साधु-साध्वी जब नियम भंग करते हैं तो उनका यह कार्य अंधकार के तुल्य है। प्रकाश ज्ञान का और अंधकार अज्ञान - सूचक है।
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साधु-साध्वी अपने संयम पालन में, जीवन की पवित्रता को अक्षुण्ण बनाये रखने में सदा जागरूक रहें, यह आवश्यक है । निशीथ - सूत्र में उनके का आचार का वर्णन है । साधु-साध्वियाँ परस्पर किस प्रकार व्यवहार करें, इसकी चर्चा है उत्सर्ग मार्ग और अपवाद मार्ग की दृष्टि से भी वर्णन है। आचार संबंधी नियमों का भंग होने पर तदनुरूप कैसा प्रायश्चित्त दिया जाय, इस संबंध में भी उल्लेख है । | यह सूत्र २० बीस उद्देशकों में विभक्त है।
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इसके पहले उद्देशक में ब्रह्मचर्य पालन के संबंध में विशेष रूप से उद्बोधन दिया गया है । इसमें
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