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णमो सिद्धाण पद: समीक्षात्मक परिशीलन
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यहाँ एक बात का समाधान करना आवश्यक है कि यदि एक वस्तु को एक साथ अनंत धर्मात्मक न माने तो क्या कठिनाई आती है ? यह प्रश्न उपस्थित होना सहज है। किन्तु द्रव्य एवं पर्याय रूप वस्तु के उभयात्मक स्वरूप को समझने वाले व्यक्ति के लिये उसका समाधान भी उतना ही सहज है। __वस्तु द्रव्य-पर्याय-धर्म-युक्त है। वस्तु के त्रिकालवर्ती पर्याय अनंत होते हैं। एक समय में भी वस्तु अनेक पर्याय-युक्त रहती है।
एक आम में रूप, रस, गंध, स्पर्श आदि सहभावी या युगपद्भावी पर्याय है, अर्थात् ये पर्याय आम में एक साथ रहते हैं। नयापन तथा पुरानापन आदि क्रमभावी या अयुगपद्भावी पर्याय हैं। अर्थात् किसी वस्तु के नुतनरूप में जो पर्याय हैं, अवस्थाएं हैं, उसके पुरातनरूप में पर्यायों या अवस्थाओं से भिन्न है। ये एक साथ नहीं होते, क्रमश: होते हैं, इसलिये इन्हें अयुगपद्भावी या एक साथ न होने वाले कहा जाता है।
इस प्रकार एक वस्तु के अपने द्वारा या अन्य द्वारा किये गये अपेक्षाकृत, संबंधकृत, शब्दकृत तथा अर्थकृत पर्यायों से उसकी एक ही साथ अनेक धर्मात्मकता सिद्ध होती है और त्रिकालवर्ती पर्याय अनंतानंत बनते हैं।
ऐसी अनंतानंत धर्मात्मक वस्तुओं का किसी एक धर्म की अपेक्षा से कथन करना- वचनात्मक नय है। उसको जानना- ज्ञानात्मक नय है। वचनात्मक नय- द्रव्यनय एवं ज्ञानात्मक नय- भावनय कहा जाता है। द्रव्यनय- औपचारिक है और भावनय- तात्त्विक है।
द्रव्यार्थिक नय सामान्य को विशेष रूप में ग्रहण करता है तथा पर्यायार्थिक नय विशेष को सामान्य रूप में ग्रहण करता है। वस्तु सामान्य-विशेष के रूप में उभयात्मक है। इसी कारण नय ज्ञान के ये दो भेद हैं। पहले तीन या चार भेद द्रव्यार्थिक नय के और अंतिम तीन या चार भेद पर्यायार्थिक नय के हैं।
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१.नैगमनय
संकल्पमात्र को विषय रूप में जो ग्रहण करता है, वह 'नैगम नय' कहा जाता है। 'निगम' शब्द का अर्थ संकल्प भी है, इसीलिये संकल्प को विषय रूप में स्वीकार करने वाला नय भी नैगम शब्द द्वारा संबोधित किया जाता है।
नैगम नय के तीन भेद हैं:- (१) भूत नैगम, (२) भावी नैगम, (३) वर्तमान नैगम । अतीत काल में वर्तमान का संकल्प करना 'भूत नैगम है। जैसे यदि कहा जाय कि 'आज भगवान् महावीर का जन्म दिन है।' यहाँ 'आज' शब्द का अर्थ वर्तमान होते हुए भी इसका संकल्प ढाई हजार वर्ष से भी अधिक पूर्व की चैत्र-शुक्ला-त्रयोदशी में किया जाता है। इसलिये इसे भूत नैगम कहते है।
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