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णमो सिद्धाणं पद : समीक्षात्मक परिशीलन
प्रयास किया गया है, जिससे उस पद के अभिलाषी जिज्ञासु, मुमुक्षुजन सिद्धत्व का स्वरूप-बोध प्राप्त कर उस ओर गतिशील को सकें।
जैन आगमों के उत्तरवर्ती प्राकृत-संस्कृत ग्रंथों में, आगमों की टीकाओं में सिद्ध पद का बहुमुखी विश्लेषण हुआ है। विद्वान् लेखकों ने सिद्धत्व-विषयक प्राय: सभी सामान्य, विशेष पक्षों का अपने गहन शास्त्राध्ययन के सहारे विवेचन किया है, जो सिद्ध परमात्मा की महिमा का बहुत ही सुंदर, विशद भाव-चित्र उपस्थापित करता है। चतुर्थ अध्याय में उन मनीषियों के विचारों का समुपस्थापन और संदोहन करते हुए सविमर्श चिन्तन प्रस्तुत करने का उपक्रम रहेगा।
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