Book Title: Namo Siddhanam Pad Samikshatmak Parishilan
Author(s): Dharmsheelashreeji
Publisher: Ujjwal Dharm Trust

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Page 533
________________ उपसंहार: उपलब्धि : निष्कर्ष टगोचर अत्यंत है। ऐसा होने का सहज परिणाम यह होगा कि आज मानव-जीवन में परिव्याप्त दूषित एवं अभिशप्त क्रियात्मकता का अपगम हो सकता है। इसके साफल्य, सार्थक्य को काल की सीमा में तो नहीं बाँधा जा सकता, किन्तु आत्मा की अपरिसीम, अनन्तशक्ति को आंकते हुए यह क्यों न आशापूर्ण कल्पना की जाय कि उसकी स्वत्वोन्मुख, सत्योन्मुख धारा एक ऐसे उज्ज्वल भविष्य की संमष्टि कर सकती है, जो मानवीय एकता, समता, नि:स्वार्थता, अहिंसा, सेवा और वत्सलता के उत्तम भावों से परिपुष्ट हो। ता है। पूर्ण देन उन्होंने से वह ण को प्राय: पाता। 1 और :-तरह होता 'आज ता है। 5 एवं उसके न का होती। जाय सकता 33 494 RESENSES

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