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जैन-योग पद्धति द्वारा सिद्धत्व की साधना
समाप्त कर देता है, । परमात्म-भाव में हो जाता है। फिर
ग हुआ है। नाभि, न करने का विशेष की आग्नेयीय आदि
और साधना की न्न रुचि के साधक
तत्पश्चात् आचार्य हेमचंद्र और आचार्य शुभचंद्र आदि मनीषियों ने जैन योग का विकास किया।
प्रस्तुत अध्याय में आठ योगदृष्टियों को केन्द्र में रखते हुए जैन योग के स्वरूप का विवेचन किया गया है। धारणा, ध्यान, तथा समाधि आदि का भी समीक्षात्मक दृष्टि से विश्लेषण किया गया है।
धर्म-ध्यान द्वारा आत्मोपासना के पथ पर अग्रसर होते हुए, शुक्ल-ध्यान में संप्रवेश इत्यादि का यहाँ प्रतिपादन किया गया है। साधना का अंतिम लक्ष्य सिद्धत्व का साक्षात्कार है। योगदृष्टियों के अन्तर्गत यह अन्तिम परादृष्टि में सिद्ध होता है। सामाधि एवं शुक्ल-ध्यान जब उन्नति की पराकाष्ठा पर पहुँचते हैं, तब समस्त कार्मिक आवरण ध्वस्त हो जाते हैं, सिद्धत्व अधिगत हो जाता है, जो प्रस्तुत शोध-ग्रंथ का विवेच्य विषय है। ___ भारतीय संस्कृति में वैदिक एवं जैन परंपरा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। समग्न दु:खों का ऐकान्तिक एवं आत्यन्तिक विनाश परमशांति, परमानंद एवं परमसुख इनका लक्ष्य है। वैसी दशा की उपपत्ति क्रमश: ब्रह्मसाक्षात्कार या सिद्ध-पद प्राप्ति द्वारा अभिहित होती है। जिस प्रकार जैन वाङ्मय में सिद्ध-पद का अनेक अपेक्षाओं से विस्तृत विवेचन हुआ है, वैदिक साहित्य में भी विविध रूप में ब्रह्म का विवेचन हुआ है। सिद्धत्व की भाँति परब्रह्मत्व साधक का सर्वोपरि लक्ष्य है। इन दोनों के विवेचन में विविध दृष्टिकोणों को लेते हुए सादृश्य एवं सामीप्य दृष्टिगोचर होता है, किंतु तात्त्विक दष्टि से कुछ ऐसी विसदृशता भी परिलक्षित होती है, जिसका सूक्ष्म अध्ययन परम आवश्यक है।
'वादे-वादे जायते तत्त्वबोध:'- के अनसार इस विषय के सक्ष्म अध्ययन एवं अनशीलन से तात्त्विक बोध के रूप में साधक को एक अन्तःस्फूर्ति प्राप्त होती है, जिसके द्वारा वह अपने मंतव्यानुरूप गंतव्य-पथ पर अग्रसर होता हुआ प्राप्य को प्राप्त कर लेता है और साध्य को सिद्ध कर लेता है। सप्तम अध्याय में इसी विषय पर तुलनात्मक एवं समीक्षात्मक दृष्टि से वर्णन किया जाएगा। प्रासंगिक रूप में अन्य परंपराओं के विचार बिन्दु भी सविमर्श उपस्थापित किए जाएंगे।
ने सिद्धान्तानुसार नियम, आसन, चित्त-वृत्तियों के
। ध्यान का तो के सहायक और
के साधक अपने त् बैठना-उठना । को भोगों से
प्रसिद्ध ग्रंथकार ष्ट से निरूपित
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