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णमो सिध्दाणं पद : समीक्षात्मक परिशीलन
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ही जा चुका है कि प्राचीन भारतीय जीवन, समाज एवं चिंतन धारा पर उनमें बड़े व्यापक रूप में प्रकाश डाला गया है।
आगमोत्तर-काल में विविध शैलियों में विपुल मात्रा में साहित्य रचा गया। जैन साहित्यकारों, कवियों और लेखकों का इस बात की ओर सदा से ही विशेष ध्यान रहा कि वे ऐसे ग्रंथों की रचना करें, जिनसे साधु-साध्वियों को तो लाभ पहुँचे ही, गृहस्थ-जिज्ञासुओं और साधकों को भी मार्ग-दर्शन एवं प्रेरणा प्राप्त हो।
साहित्य समाज की अनुपम निधि है। उसे समाज का दर्पण कहा जाता है। जिस तरह दर्पण में व्यक्ति का आकार दृष्टिगोचर होता है, वैसे ही साहित्य में समाज का सजीव चित्रण विद्यमान रहता है, वह कभी पुरातन नहीं होता। जितनी बार उसका अध्ययन किया जाता है, उसे पढ़ा जाता है, उतनी ही उसमें नवीनता प्राप्त होती है।
महाकवि कालिदास ने लिखा है- 'क्षणे-क्षणे यन्नवतामुपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः।'
जो प्रतिक्षण नवीनता प्राप्त करता जाए, वही रमणीयता या सुंदरता का रूप है। अर्थात् साहित्य का सौंदर्य कभी पुरातन नहीं होता, कभी मिटता नहीं। इसलिये उसमें समग्न मानव-जाति का आकर्षण, हित एवं कल्याण सन्निहित रहता है।
इस दृष्टि से जैन-साहित्य की अपनी अनुपम विशेषता है। उससे सहस्राब्दियों तथा शताब्दियों से कोटि-कोटि जनता लाभान्वित होती रही है। आज भी वह साहित्य अपने उसी प्राचीन गौरव को लिये हुए है। साहित्य को 'सत्यम्-शिवम्-सुंदरम्' कहा जाता है। वह सुंदर होने के साथ-साथ सत्य है, त्रैकालिक शाश्वतता लिये हुए है तथा शिव या परम कल्याणकारी है।
जिस समाज एवं धर्म का साहित्य जीवित होता है, वह समाज और धर्म कभी मरता नहीं, मिटता नहीं। वह अजर-अमर होता है। जैन साहित्य इसी कोटि में आता है। विभिन्न विधाओं तथा शैलियों में- पद्यात्मक, गीतात्मक, गद्यात्मक आदि रूपों में दर्शन विषयक सूत्र-ग्रंथ, महाकाव्य, खंडकाव्य, मुक्तककाव्य, चंपूकाव्य, चरितकाव्य, कथानक, रास इत्यादि अनेक प्रकार की रचनाएँ हुईं।
उन सबमें लेखकों का, रचनाकारों का मुख्य उद्देश्य यही रहा कि जन-जन को उनसे धार्मिक जीवन अपनाने की प्रेरणा प्राप्त हो। लोग आध्यात्मिक उत्थान के पथ पर आगे बढ़ें। संयम, शील, त्याग, वैराग्य, तप, स्वाध्याय, ध्यान आदि की दिशाओं में सदैव प्रगति करते जाएं। इस प्रकार निरंतर आगे बढ़ते हुए आवागमन से, जन्म-मरण से छूट जाएं, मोक्ष-लक्ष्मी या सिद्धावस्था को प्राप्त करें तथा परम आनंद का अनुभव करें।