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णमो सिद्धाणं पद : समीक्षात्मक परिशीलन ।
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उच्च बनने की भावना की जाए तथा उस दिशा में साधनामूलक प्रयत्न किया जाए।
मंगलवाक्य में वर्णित शुद्ध आत्माओं के समान राग, द्वेष, काम, क्रोध आदि दुर्बलताओं पर विजय प्राप्त करने का यत्न किया जाए। आत्मोन्नति के लिये परम शांत, सौम्य, भव्य, आराध्य वीतराग आत्माओं का चिंतन एवं मनन करना, उनके नाम और गुणों को प्रतिपादित करने वाले वाक्यों का स्मरण, पठन एवं आवर्तन करना आवश्यक है।
सांसारिक विकारों से ग्रस्त व्यक्ति आदर्श आत्माओं के गुण-स्तवन, चिंतन एवं अनुभावन द्वारा अपने जीवन पर विचार करता है। जिस प्रकार उन शुद्ध और निर्मल आत्माओं ने राग-द्वेष आदि वैभाविक स्थितियों पर विजय प्राप्त की तथा नवीन कर्मों के आस्रव को अवरूद्ध कर, संचित कर्मों को क्षीण कर, शुद्ध स्वरूप को प्राप्त किया, उसी प्रकार उन आदर्श शुद्ध आत्माओं के स्मरण, ध्यान और मनन से साधक भी अपनी आत्मा को निर्मल बना सकता है।
णमोक्कार मंत्र में निरूपित आत्माओं की शरण लेने का तात्पर्य उन्हीं के समान शुद्ध स्वरूप को प्राप्त करना है। साधक किसी आलंबन को पाकर ऊर्ध्वगमन कर सकता है एवं साधना की उच्च अवस्था को प्राप्त कर सकता है। णमोक्कार मंत्र में प्रतिपादित महान् आत्माओं का आलंबन विश्व की समस्त आत्माओं से उन्नत परमात्म-स्वरूप है। उनके निकट पहुँचकर साधक उसी प्रकार शुद्ध हो सकता है, जैसे लोहा पारस का संयोग प्राप्त कर स्वर्ण बन जाता है।
जैसे जलते हुए एक दीपक की लौ से दूसरा दीपक प्रज्वलित हो जाता है, वैसे ही सांसारिक विषय, कषाय, दोष आदि से युक्त आत्मा उत्कृष्ट मंगलवाक्य में प्रतिपादित महान् आत्माओं का सान्निध्य प्राप्त कर उनके सदश बन जाती है। यही कारण है कि मंगल-सूत्रों का मानव-जीवन के उत्थान और उन्नयन में अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है।
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णमोक्कार महामंत्र के आराधक
णमोक्कार मंत्र का उच्चारण करने से शुभोपयोग निष्पन्न होता है। जब इस महामंत्र के प्रति आभ्यंतरित आस्था जागरित होती है और इस मंत्र में वर्णित महान् उच्च आत्माओं के गुणों का स्मरण, चिंतन और मनन किया जाता है तो साधक का आत्म-परिणति की दिशा की ओर झुकाव हो जाता है तथा वह शुभोपयोग से शुद्धोपयोग की दिशा में अग्रसर होता है।
__ शुभोपयोग की दशा में शुभ या पुण्यमूलक बंध होता है। इसलिए जब साधक साधना की उच्च स्थिति में पहुँच जाता है, तब वह शुभोपयोग से ऊँचा उठ जाता है तथा शुद्धोपयोग की भूमिका को अपना लेता है।