Book Title: Jain Darshan me Karan Karya Vyavastha Ek Samanvayatmak Drushtikon
Author(s): Shweta Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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xlviii चतुर्थ अध्याय : नियतिवाद
२३७-३३८ → उत्थापनिका
२३७ - नियतिवाद के प्ररूपक गोशालक- एक परिचय → वैदिक वाङ्मय में नियतिवाद की चर्चा : पं. ओझा का मत > उपनिषदों में नियतिवाद → पुराण साहित्य में नियति एवं उसके पर्याय - रामायण में नियति की कारणता → महाभारत में नियति का स्वरूप → संस्कृत-साहित्य में नियति का विशेष रूप
२४९ • अभिज्ञानशाकुन्तल में भवितव्यता के रूप में नियति • भर्तृहरि विरचित नीतिशतक में नियति • हितोपदेश एवं पंचतन्त्र में भवितव्यता • राजतरंगिणी में नियति की महत्ता
• काव्य प्रकाश में नियति - दार्शनिक ग्रन्थों में नियति का स्वरूप
• बौद्ध त्रिपिटक में नियतिवाद • योगवासिष्ठ में नियति एवं पुरुषार्थ की सापेक्षता
• शैवदर्शन के ग्रन्थ परमार्थसार में नियति » जैन ग्रन्थों में नियतिवाद का निरूपण • आगम एवं टीकाओं में चर्चित नियतिवाद
सूत्रकृतांग में नियतिवाद का स्वरूप भगवती, स्थानांग और सूत्रकृतांग की नियुक्ति में नियतिवाद २५७ प्रश्नव्याकरण और उसकी टीकाओं में नियतिवाद २५९
२५५
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