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महाकवि ज्ञानसागर के काव्य- एक अध्ययन
'महापुराण' में उसका नाम शीलगुप्त बताया गया है, किन्तु 'जयोदय' में मुनि का
नामोल्लेख नहीं है ।
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(घ) 'महापुराण' में उल्लेख मिलता है कि एक सर्प दम्पति ने भी जयकुमार के साथ मुनि से उपदेश सुनार, जबकि 'जयोदय' में जयकुमार के साथ केवल एक सर्पिणी ने ही उपदेश सुना है । 3
(ङ) सर्पिणी के पति की मृत्यु वर्षा ऋतु के प्रारम्भ में हुई थी, 'महापुराण' में घाई हुई इस बात का भी उल्लेख 'जयोदय' में नहीं मिलता ।
(च) 'महापुराण' में वर्णन मिलता है कि दुबारा जयकुमार उसी वन में गया तब उसने उक्त सर्प के साथ मर्पिणी को रमण करते हुए देखा। किन्तु 'जयोदय' महाकाव्य में बताया गया है कि अपने साथ उपदेश सुनने वाली सर्पिणी को, जयकुमार ने जब वह उपदेश सुनकर लौट रहा था, तभी दूसरे सर्प के साथ विहार करते हुए देखा ।
(छ) महापुराण' में उल्लेख है कि जयकुमार और सैनिकों ने सर्प भौर सर्पिणी दोनों को पीटा। सर्प मारकर गंगानदी में काली नाम का जल देवता हुन । 'जयोदय' महाकाव्य में केवल सपिरणी को प्रताडित करने का उल्लेख है 15 सर्षिरणी गंगानदी में काली नाम की देवी हुई, यह बात भी विवाह के पश्चात् सम्राट् भरत के यहाँ से लौटते समय ज्ञात होती है ।
(ज) 'महापुराण' में वर्णन है कि वन से लौटकर जयकुमार ने अपनी पत्नी श्रीमती को बन का सारा वृत्तान्त सुनाया १०, जबकि 'जयोदय' महाकाव्य में कहा गया है कि जयकुमार ने अपनी सभी स्त्रियों के सम्मुख वन का वृत्तान्त कहा । ' (झ) 'महापुराण' में वाराणसी का और उसमें राज्य करने वाले प्रकम्पन का
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१. महापुराण ( प्रादि पुराण भाग-२), ४३।८८
२ . वही, ४३।६०
३. जयोदय, २०४२
४. महापुराण ( प्रादिपुराण भाग-२), ४३-६१ ५. वही, ४३।६२-६३
६. जयोदय, २।१४२
महापुराण (प्रादिपुराण भाग २ ), ४३।६३-६५
७.
८. जयोदय, २।१४२
६. वही, २०७०
१०. महापुराण ( श्रादिपुराण भाग-२) ४३१०० ११. जयोदय, २।१४५