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महाकवि ज्ञानसागर के काव्य-एक अध्ययन उस देश की सदा जल से भरी नदियां समुद्र की मोर जा रही थीं। वहां स्वच्छ जल से भरे हुये अनेक सरोवर थे। माम, जामुन, नारङ्गी इत्यादि फल बमों से उपलब्ध हो जाते थे । प्रतएव उदार हृदय धनिकों को सदाव्रतशाला और पाक इत्यादि का प्रबन्ध करने की कोई प्रावश्यकता नहीं थी।
उस देश के प्राम, जल-सम्पदा, वनस्पति-सम्पदा, शस्य-सम्पदा से, स्वर्ग के समान वैभव से परिपूर्ण थे। वहां के निवासियों का जीवन-स्तर सरल था। कृषि और पशुपालन उनको प्राजीविका के साधन थे। उस देश में दुर्भिक्ष इत्यादि की बाधायें उपस्थित नहीं होती थीं। सभी लोग अच्छी नीति का प्राचरण करते थे। सभी लोग कान्तियुक्त और भयरहित थे। सभी अपने धन का यथासमय दान करते रहते थे। सत्सङ्ग में सर्वाग्रणी थे। इस प्रकार वह अङ्गदेश सभी सुख के साधनों से सम्पन्न था।'
____ इन चार देशों के विस्तृत वर्णन के अतिरिक्त कवि ने उष्ट्रदेश, कलिङ्गदेश, मैसूरदेश, पल्लवदेश, निर्गनदेश, कर्णाटकदेश, मङ्गलावतीदेश, पुष्कलदेश, इत्यादि देशों का भी उल्लेख किया है। मगर वन. महाकवि ज्ञानसागर की रचनामों में हमें कुण्डनपुर, चमापुरी, उज्जयिनी, चक्रपुर, स्तबकगुच्छ, हस्तिनापुर और काशी का वर्णन मिलता है । सर्वप्रथम बीरोग्य के चरितनायक महावीर की जन्मभूमि कुण्डनपुर का वर्णन प्रस्तुत हैकुन्छनपुर
कवि की रचनामों में हमें कुण्डनपुर का चित्र दो वार देखने को मिलता है । प्रथम चित्र में कुण्डनपुर के मनोरम वैभव की झांकी इस प्रकार है
पृथ्वी के ललाट-स्वरूप विदेह-देश में भगवान महावीर की जन्मभूमि कुणानपुर है । कुण्डनपुर स्वर्गतुल्य है। स्वर्ग के ही समान वहां किसी प्रकार का
१. सुदर्शनोदय, १।१३-१४ २. वीरोदय, १३२९ १. वही, १५३२ ४. वही, १५॥३४ ५. वही, १५३५ १. वही, १६३५ ७. वही, २२।३ ८. वही, १२२६ ९. वही, ११॥३५