Book Title: Gyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Author(s): Kiran Tondon
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar

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Page 522
________________ ४६२ महाकवि भानसागर के काम्प-एक अध्ययन १२. दिवंगत प्राचार्य श्री यथानाम तवानुरूप मान के प्रागार तवा पात्मशक्ति के पुंज थे।' .. -बाहुबली सन्देश' में श्री चांदमल सरावनी पाया । १३. 'परमपूज्य बासब्रह्मचारी बारिमविभूषण ज्ञानमूत्ति वयोवड १०८ प्राचार्य श्री ज्ञानसागर पी महाराज समाज की एक निधिबी।' -श्री स्वरूपचन्द कासलीवाल, 'बाहुबली सन्देश' १० सं० २१ १४..........वे जैन संस्कृति के ही रक्षक नहीं थे, बल्कि भारत की प्रार्य संस्कृति के भी पूर्ण रक्षक थे। समन्वय नीति को सामने रखते हुए मापने उदारतापूर्वक रष्टिकोण से जन धर्म की विशेषताएं सिद्ध की है। ब्रह्मचारी पं० विवाकुमार सेठी, बाहुबली सन्देश, पृ० सं० १५

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