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महाकवि मानसागर के कप-
ए
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(a) सोमरसपानचकवाय
"सुन्दरीः सबः सुन्दरः कलयितुमनुष्णहचोऽनुसम्, मधुराकलानिरियोज्ज्वलप्रतिभावभावाप्तक्षपा । रतिषु पाटबमासवोऽलमलं विधातुमभूव पुना, न तनोः सुनानुमतेः परं लाससकरः पठावनः ।।
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-अयोग्य, १४
बकाया
SENERBER
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प्रस्तुत चक्रवन्ध के प्रत्येक परे के प्रथम पक्षरों को पढ़ने से 'सोयरसमा. शाम निकलता है, वो इस वर्ग में वर्णित मद्यपान का घोतक है।