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महाकवि ज्ञानसागर के काव्य--एक अध्ययन
रचित श्रीममुद्रदत्त चरित्र को कथा से मिलाते हैं तो ज्ञात हो जाता है कि मुनिश्री ने अपने काव्य के कथानक का स्रोत इन्हीं से लिया है।
प्रब देखना यह है कि कवि ने अपने काध्य में इन दोनों ग्रन्थों से क्या और कितना अंश परिवर्तित पोर परिवधित किया है। सर्वप्रथम बृहत्कथाकोश और श्रीसमुददत्तचरित्र को तुलना प्रस्तुत है :वृहत्कयाकोश और समुद्रदत्तचरित्र (क) 'वृहत्कथाकोश' में वर्णित संजयन्त मुनि से सम्बन्धित घटनामों का 'श्रीसमुद्रदत्तचरित्र' में प्रभाव है। (ख) 'बृहत्कथाकोश' में सिंहपुर पौर उसके राजा का वर्णन पहले किया गया है। जबकि श्रीममुद्रदन त्ररित्र' में पद्मखंण्डपुर और उसके निवासी भद्रमित्र वैश्य का वर्णन पहले किया गया है। (ग) बृहन्कथाकोश' में नायक एक सुमित्रदत्त है, जबकि 'श्रीसमुद्रदत्तचरित्र' में भटमित्र है। (च) 'बृहत्कथाकोश' में सुमित्रदत्त की माता का नाम सुमित्रदत्ता पौर पिता का नाम मुमित्रा है । परन्तु 'श्रीसमुद्रदत्तचरित्र' में माता का नाम सुमित्रा पौर पिता का नाम सुदत्त है। (ङ) बृहत्कथाकोश' के अनुसार सुमित्र सपरिवार धनार्जन की इच्छा से सिंहपुर माया । श्रीसमुद्रदत्तचरित्र' में भद्रमित्र पिता-माता की प्राज्ञा से धनार्जन के लिए रत्नदीप गया।' (च) 'बृहत्कथाकोश' में वर्णन मिलता है कि सिंहपुर प्राकर उन्होंने अपने रत्न श्रीभूति को सौंपे, पुनः सभी वैश्य पाखण्डपुर लोटे । कुछ दिनों के बाद सुमित्र वैश्य बहुत से मित्रों के साथ रत्नद्वीप को गया। समुद्र में तूफान पाने के कारण वे सभी वैश्य मृत्यु को प्राप्त हो गये, केवल सुमित्रदत्त हो बचा। किन्तु
१. बृहत्कथाकोश, ७८।१-२७, १८६-२६० । २. वही, ७८।२६ ३. श्रीसमुद्रदत्तचरित्र, ११२६-३० ४. बृहत्कथाकोश, ७८६३६ ५. श्रीसमुद्रदत्तचरित्र, ११३० ६. बृहत्कथाकोश, ७८,२६ ७. श्रीसमुद्रदत्तचरित्र, ११२६ ८. बृहत्कथाकोश, ७८।३७ .. ९. श्रीसमुद्रदत्तचरित्र, ३।२-१७ १०. बृहत्कथाकोश, ७८।३६-४