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महाकवि ज्ञानसागर की पात्रयोजना
१-५२ ::
'दयोदयचम्पू' में कवि ने कथानक - निर्वाह के लिए पन्द्रह पात्रों की परिकल्पना की है, जिनका परिचयात्मक रेखाचित्र इस प्रकार है
ऋषि वर्ग
I पुरुष पात्र
'
वषभदत
सोमदत्त के पूर्व जन्म की कथा सुनाने वाले
मुनि
दयोदय के पात्र I
राज वर्ग
1
गुणमाला
स्त्रीपात्र
1 सोमदत्त के मन में वैराग्य उत्पन्न करने बाले मुनि
राजसेवक वर्ग
वृषभदत्ता
राजसेवक
पुरुषपात्र I
सोमदत्त गुणपाल गोविन्द महाबल चाण्डाल
विषा
T
मंत्री
प्रजावगं
स्त्रीपात्र
1
गुणमति वसन्तसेना
श्री ज्ञानसागर के काव्य-ग्रन्थों का अनुशीलन करने से यह ज्ञात होता है कि उन्होंने अपने काव्यों में समाज के प्रायः प्रत्येक वर्ग के पात्रों को लिया है । वहाँ एक भोर उनके काव्यों में इन्द्रादि देवताओंों को लिया गया है, वहीं दूसरी भोर चाण्डाल वर्षिक और पिशाच योनि वाले प्राणियों को भी लिया है। एक मोर अपने पति सिद्धार्थ से प्रेम करने वाली रानी प्रियकारिणी है, तो दूसरी घोर वासना से अन्धी रानी अभयमती भी है। इस प्रकार उनके पात्रों में कौतुकजनक विविधता विद्यमान है ।
अब श्रीज्ञानसागर के सभी पात्रों का, उनकी कोटि के प्राधार पर, निम्नलिखित रेखाचित्र प्रस्तुत किया जा सकता है