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महाकवि ज्ञानसागर के संस्कृत काव्य ग्रन्थों के स्रोत
किन्तु सुदर्शनोदय' मे केवल मेठ वृपभदास के ही दीक्षित होने का वर्णन हैं ।' (ढ) 'सदसचरिउ' के अनुसार कविता सुदर्शन के गुणों को सुनकर मोहित हो गई । किन्तु सुदर्शनोदय के अनुसार कपिला सुदर्शन के गुणों को देखकर मोहित हुई, न कि उसके गुणों को सुनकर 13
(ण) 'सुमन' में वागत कपिला की सखी के पंचमराग गाने का सुदर्शनोदय में कोई उल्लेख नहीं है । ५
(त) 'सुबं मरणचरिउ' में सात पुतलों द्वारा दासी के सातों द्वारपालों के वश में करने का वर्णन है ।
(ब) 'मुगाचरित्र' में उल्लिखित सुदर्शन के अपशकुनों का 'सुदर्शनोदय में कोई उल्लेख नहीं है ।
(द) 'सुमन' में दासी के सुदर्शन के पास दो बार जाने का वर्णन है । 'सुदर्शनोव्य' के अनुसार दासी एक ही बार सुदर्शन के पास गई और उसे रानी के पास ले आई।
(a) सुदंराचरिउ' में रानी ने अपने शरीर को नखों से क्षत-विक्षत करके सुदर्शन कोदो जबकि सुदर्शनोदय' में नखक्षत बना लेने का उल्लेख नहीं
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है ।
(त) 'नुदंसणचरिउ' में वर्णित व्यन्तर द्वारा सुदर्शन की रक्षा का वृत्तान्त' 'सुदर्शनोदय' में नहीं है !
से
(प) 'सुगारिन' में राजा व्यन्तर से वास्तविकता को जानकर क्षमायाचना करता है । १२ सुदर्शनोदय' में राजा श्राकाशवाणी से वास्तविकता का ज्ञान शाप्त करता है
है।
१. सुदर्शनोदय, ४:१४
२. सुदंमणचरिउ, ७२ ३. सुदर्शनोद ५।१
४. सुदंगाचरिउ ७।२
६५
५. वही, ८११०
६. सुदर्शनोदय, ७।१
७. सुदं नाचरिउ ८ । १५
वही ८२०-२२
८.
६. सुदर्शनोदय, १1३६
१०. सुदंसणचरिउ, ८, ३४
१९. वही, ८।१४३, ६१-१८
१२ . वही, ६।१८ १३. सुदर्शनोदय, ८ - १०