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महाकवि ज्ञानसागर के संस्कृत काव्य-ग्रन्थों के स्रोत
(ङ) 'वृदयाकोग' में सेठ ने उसे जिननाम लेने से रोका था लेकिन 'सुदर्शनोद में ऐमा उल्लेख नहीं मिलता। (च) 'बृहत्कथाकोश में सभी भंसों को वापिस लाने के लिए सुदर्शन के नदी में क का वर्णन है.२ लेकिन 'स.दर्शनोदय' में एक ही भैस को निकालने के लिए समान का सरोवर में कूदने का वर्णन है । (छ) वृहत्कयाकोश के अनुसार ग्वाला काठ की नोक से शिर में चोट लगने के कारण मरा है । ४ 'सुदर्शनोदय' में काठ की नोक से घायल किसी अंग विशेष का उल्लेख नहीं है। (अ) वृहत्कयाकोश' के अनुसार जिन दासी ने गर्भावस्था के पांचवें महीने में जिनप्रबन की इच्छा व्यक्त की.५ पर सुदर्शनोदय' में ऐसा वर्णन नहीं है । (झ) 'बृहत्कथाकोश' में मनोरमा के माता-पिता का नाम. क्रमशः सागरसेना पोर सागरसेन बनाया गया है । ६ किन्तु 'सुदर्शनोदय' में मनोरमा के पिता का नाम सागरदत बताया गया है और माता का नामोल्लेख नहीं है। (त्र) 'वृह कयाकोश' में विवाह के बाद सुदर्शन एवं मनोरमा के पुत्र सकान्त के जन्म का वर्णन है, किन्तु 'सुदर्शनोदय' में पुत्रजन्म का उल्लेख नहीं है। (ट) 'वृकयाकोग' में वर्णन है कि सुदर्शन-मनोरमा की पुत्रोत्पत्ति के बाद सेठ वषभदास ने ममाधिगुप्त मुनि के समीप दीक्षा धारण कर ली। 'सुदर्शनोदय' के पनुसार सेठ नगर के उद्यान में मुनि का प्रागमन सुनकर परिवार सहित उनके दर्शन करने जाता है, पीर उनका धर्मोपदेश सुनकर दीक्षा धारण कर लेता है। (ठ) 'बृहत्कथाकोश' के अनुसार सुदर्शन का मित्र कपिल राजा के पुरोहित का पत्र था।''
१. वृहत्कथाकोश, ६०।१५ २. वही, ६०।१६ ३. सुदर्शनोदय, ४।२६ ४. बृहत्कथाकोश ६०।२२ ५. वही, ६०।२३ ६. वही, ६०।३२ ७. सुदर्शनोदय, ३१३४ ८. बृहत्कथाकोश, ६०३३
६. वही, ६०।३५ १०. सुदर्शनोदय, ४।१-१४ ११. बृहत्कपाकोश, ६०३७