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. अध्ययन नही कर सकते है, स्त्रियाँ अनाधिकारी होने से पूर्वो का अध्ययन नही कर सकती है। उनके अनुग्रहार्थ अंग व अंग बाह्य सूत्रों की रचना की गई है। कहा है कि 'तुच्छ, गर्व युक्त, चंचल व धैर्यहीन होने के कारण स्त्रियाँ उत्थान श्रुत आदि अतिशय सम्पन्न शास्त्र तथा दृष्टिवाद पढने की अधिकारी नही है। विशेष - पूर्वोक्त पाठ से स्पष्ट है कि साध्वियों के लिए कुछ विशेष सूत्रों को छोड़कर शेष सूत्रों के अध्ययन का निषेध नहीं है। अत्रातिशेषाध्ययनानि उत्थानश्रुतादीनि.....तो दुर्मेधसां स्त्रीणां चानुग्रहाय शेषाङ्गानामङ्ग बाह्यस्य च विरचनम् ।
प्रवचन सारोद्धार टीका (पत्राङ्क 209) प्र.47 अंग प्रविष्ट और अंग बाह्य सूत्रों के अन्य नाम क्या है ? उ. अंग प्रविष्ट सूत्र का अन्य नाम अंग आगम और अंग बाह्य का
अभंगप्रविष्ट (अनंगागम) है। प्र.48 अंग बाह्य सूत्र किसे कहते है ? .. उ. त्रिपदी (द्वादशांगी) के अतिरिक्त, जिनका निर्माण स्वतंत्र रुप से होता
है, उन्हें अंग बाह्य सूत्र कहते है। प्र.49 क्या अंग बाह्य सूत्र भी प्रमाणिक होते है ? उ. हाँ, अंग बाह्य सूत्रों की रचना तीर्थंकर की प्ररुपणा एवं सिद्धान्तों के
अनुरुप ही होती है, अतः ये द्वादशांगी (अंग प्रविष्ट) की भाँति आदरणीय
एवं प्रामाणिक है। प्र.50 अंग बाह्य सूत्र की क्या विशेषता है ? उ. 1. ये स्थविर कृत / गणधर कृत होते है । ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++
आगमों के भेद-प्रभेद
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