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ध्यवकासन । (२५) ३ (अ+य)-- १ क (अ+य) + ७ ग',(अ+य)+Cक (अ+य) +५ गर, ४ (अ+ )+२ क (I+य) -६ग, (अ+य)२-३ क (अ+य) -२गर और (अ+ य)२-क (अ+य)-६ गबन का योग क्या होगा?
उत्तर, १५ (अ+य)-३ क (I+य)-२गरे ।
२ व्यबकलन ।
२३ । रीति । जिस पद में किसी दूसरे पद को घटाना हो उस पद को ऊपर लिख के उस के नीचे उस दूसरे पद को लिखो ऐसा कि जिस से सजातीय पदों के नीचे सजातीय पद आवें । फिर नीचे लिखे हुए पद में जो २ केवल पद धन वा श्ण होगा उस का द्योतक चिह्न जो धन हो तो ऋण और ऋण हो तो धन करो वा वैसा किया समझो। फिर योग की रीति से उन का योग करो वही अन्तर होगा । उदा० (१) १३ अ (२) - ७ कगर (३) य-५र.
अ . -३कगर ४य+२ ५
-४ कगर ५०-७१ (१) यहां अकोण करके १३ अ में जोड़ देने में ५ अ अन्तर हुआ।
(२) यहां-३ कग को धन करके -- ७ कग में जोड़ देने से - ४ कगर अन्तर सिद्ध हुआ।
_* रस की युक्ति यह थे।+श्र, और + क, रन का परिभाषा से अन्तर + -(+क) यह है। . . .
अब तीसरी प्रत्यक्ष बात से
श्र-(+क) = -क-(+क-क)= -क, वा! शाहि + अ - क बन का अन्तर - -(-क) ... e +क-(-क+क) = +क, वा + (+क).
इस से स्पष्ट है कि घटाने के पट के धन ऋण चिह का व्यत्यास कर के उस को जोड़ देो यही व्यवकलन है।
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