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(१०)
प्र
क) (
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अनेकवर्ण एकघातसमीकरण ।
ग- १
ग) (क-ग) (य + ग)
क १
क) (क ग) (य+क) रस में
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घर - १
+) (य+क) (य+ग)
८६ (१) जिन अनेकवर्ण समीकरणों में जितने समीकरण होते हैं वे प्रथम प्रकार के हैं ।
३ श्रनेकवर्ण एकघात समीकरण ।
| अनेकवर्ण समीकरण तीन प्रकार के होते हैं ।
,
२१५
य - २ और - १ ।
व्यक्त हों उतने हि
दून में अव्यक्तों के मान नियत रहते हैं अर्थात् एकघात समीकरणे में प्रत्येक अव्यक्तों का मान एक हि रहता है, वर्गसमीकरणों में दो इत्यादि ।
(२) जिन में अव्यक्तों से समीकरण न्यून हैं वे दूसरे प्रकार के हैं । दून में प्रत्येक अव्यक्त के मान अनन्त रहते हैं ।
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(३) और जिन में अव्यक्तों से समीकरण अधिक हों वे तीसरे प्रकार के हैं ।
दन में समीकरण अशुद्ध होते हैं अथवा अशुद्ध न हों तो अधिक समीकरण व्यर्थ होते हैं ।
अब प्रथम प्रकार के समीकरणों की समक्रिया के लिये निर्दिष्ट अनेक समीकरणों से ऐसा एक हि समीकरण उत्पन्न करना चाहिये कि जिस में एक हि अव्यक्त रहे । यह समीकरण वक्ष्यमाण तीन ऐतियों में चाहा उस से उत्पन हो सकता है ।
(१) अनेक समीकरणों में जो एक हि अव्यक्त हो उस के उन्मितिश्रों का साम्य करने से प्रथम रीति बनती है।
1
(२) उत्थापन से दूसरी रीति बनती है ।