Book Title: Bijganit Purvarddh
Author(s): Bapudev Shastri
Publisher: Medical Hall Press

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Page 287
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 50 एकघात समीकरण सम्बन्धि प्रश्न । ९३ । अब इस के उत्तर पक्रमों में प्रश्नसम्बन्धि कुछ इस अध्याय को और पूर्वार्ध को भी समाप्त करते हैं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विशेष कह के ऊपर के प्रक्रम में जो प्रश्न लिखे हैं इन में जहां किसी पदार्थ की सामान्य रूप से गति की चर्चा आवेगी वहां उस गति को एकरूप समझना चाहिये। जैसा । किसी मनुष्य को वा जल के प्रवाह की गति १ घड़ी में कोस कही हो तो वह मनुष्य वा जल दो घड़ी में २ फोस, तीन में ३ अ, चार में 8 अ और य घड़ी में अथ कोस गति जानो । इसी प्रकार से कीसी करने में से पानी के आने वा जाने की बात जहां हो वहां भी एक पल में जितना पानी आवेगा वा जायगा दो पल में उस से दूना, तीन पल में उस से तिगुना उत्पादि जानो । ऐसा हि कोई मनुष्य जो कुछ काम बनाता हो उस में एक घड़ी में जितना बनता हो दो घड़ी में उस से दूना और घड़ी में उस से गुण इत्यादि । इसी प्रकार से सजातीय प्राणियों के सामान्य रूप से बेंचने वा मोल लेने में सब सजातीय प्राणियों का मोल समान जानो । इत्यादि सर्वत्र इस में गति की वृद्धि वा ह्रास और सजातीय पदार्थ का माल इत्यादि को एकरूप समझो। और किसी की अनियत गति वा मान से प्रश्न का उत्तर न बनेगा । For Private and Personal Use Only ४८ । बीजगणितसंबन्धि प्रश्न के उत्तर में जब कि धन, धान्य आदि पदार्थ वा देश अर्थात् रेखा, क्षेत्र इत्यादि जिस में लम्बाई रहती है वा काल अर्थात् घड़ी, दिन मास इत्यादि इसी को संख्या प्रायः रहती है और वह अभिच वा भित्र प्रत्येक धन वा ऋण होती है । उस में व्यक्तगणित में केवल संख्या का अभिवत्व और भिनत्व मात्र दिखलाया है परंतु उस के धनत्व और ऋणत्व की चर्चा उस में नहीं है । यह चर्चा बीजगणित में है । इस लिये अब हम पदार्थ, देश और काल दून के धनत्व और ऋणत्व के विषय में कुछ यहां संक्षेप से लिखते हैं ।

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