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टमर्म और द्वीष्टकर्म। द्वीष्टकर्म । प्रश्न में और मध्य राशि होगा उस के स्थान में का इष्ट संख्या मान के उस में प्रश्न की बोली के अनुसार सब गणित कर के समान दो पक्षों की संख्या सिद्ध करो जोवे दो संख्या परस्पर समान हो तो नो इष्ट माना है वही अव्यक्ता राशि का मान होगा। परंतु जो वे संख्या परस्पर समान म हों तो उन का अन्तर करो और पहिले पक्ष की संख्या से दूसरे पक्ष की संख्या जैसी छोटी वा बड़ी होगी उस के अनुसार वह अन्तर धन का सच जान्ने । इसी प्रकार से अव्यका राशि के स्थान में दूसरी एक इष्ट संख्या मान के दूमरा अन्तर धन घा ऋण सिद्ध करो। फिर पहिले अन्तर को दूसरी दृष्ट संख्या से गुख देनो और दूसरे अन्तर को पहिली इष्ट संख्या से गुण देओ। तब जो वे अन्तर दोनों धन वा दोनों राण हों तो इन दो गुणनफलों के अन्तर में उन दो अन्तरों के अन्तर का भाग देओ । परंतु जो एक अन्तर धन हो और एक ऋण हो तो गुणनफलों के योग में अन्तरों के योग का भाग देओ । यों करने से जो लब्धि पावेगी वही अध्यक्तराचि का मान होगा । उस से प्रश्न का उत्सर स्पष्ट होगा।
उदा०। जिस संख्या को दो से गुण के फल में १७ घटा देओ तो शेष, उस संख्या के आधे से १ अधिक रहता है वह संख्या क्या है?
मानो कि वह संख्या १४ है, तो १४४२-१७ = ११, परंतु १४४१ +१=८, :: ११-८३ यह पहिला अन्तर धन है। फिर मानो कि वह संख्या १८ है, तो १८ ४२-१७ = १६ और १८४३ + १ = १०, .. १६-१० = यह दूसरा भी अन्तर धन है। अब ३४१८ = ५४ और ६४१४ = १२६ इस लिये १२६-१४ = = १२ यही अभीष्ट संख्या है । यह उत्तर
' बीजगणित का पूर्वार्ध समाप्त हुआ ॥ .
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