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अनेकवर्ण एजथातसमीकरण । (३) अनेक समीकरणों में ना एक हि अव्यक्त होगा उस के बारयो. सकों को समान करने से तीसरी रीति बनती है।
अनेकवर्ण एकघातसमीकरण की समक्रिया जिस में दो अव्यक्त हैं।
८७ । प्रथम रीति । प्रत्येक समीकरण से एक हि अव्यक्त की उमिति निकालो फिर उन दो उन्मितिओं को समान करने से एक समीकरण उत्पन्न होगा इस में दूसरा हि अध्यक्त रहेगा* । तब पूर्व समक्रिया से उस का मान तुरंत निकलेगा फिर उत्यापन से पहिले अव्यक्त का भी मान जात होगा । जैसा नीचे दिये हुए उदाहरणों में ।
(३+४= ३२ स उदा० (१)
य औरर का मान क्या है? १५-६५२८ यहां (१) और (२) ये दो विह क्रम से प्रथम और द्वितीय समीक. रण के मोतक मानो तब (८३) वे प्रक्रम से
(२) से,
ये-८६र ये दो य को उमिति हैं।
छेदगम से, १६०-२०१८४+१८१ पक्षान्तरनयन से, १२+२० र १६० -८४
वा, ३र७६ : २ पौर य =३२-8र इस में र के मान का उत्थापन करने से
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वा, - २१६र - २१६४२-२-१२- ४१८ । . * रस की युक्ति (१८) वे प्रक्रम के (१) मी प्रत्यक्ष बात से स्पष्ट है।
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