Book Title: Bijganit Purvarddh
Author(s): Bapudev Shastri
Publisher: Medical Hall Press

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Page 281
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रामघातसमीकरणसम्बन्धि प्रश्न । . डाले। तब उस को उस में १०० रुपये लाभ हुआ। परंतु उस ने जितने रुपयों के चावल १५ सेर के भाव से मोल लिये उतने रूपयों के नो ११ सेर के भाव से मोल लेता और ११ के भाव के मोल लेने में जितने रुपये लगे उन रूपयों के १५ के भाव के मोल लेता और फिर उन को मिला के पहिले के नाई बेंच डालता तो उस में उस को ११० रुपये लाभ होता। तो उस ने कितने २ रुपयों के दोनों प्रकार के चावल मोल लिये उत्तर, ६१५ रुपयों के चावल १५ सेर के भाव से मोल लिये और ६४५ रुपयों के चावल ११ सेर के भाव से लिये। (८७) एक मनुष्य के पास तीन थैली समान रूपयों से भरी हुई थी वह तीनों थैली ले के बाजार में गया। वहां एक जवहरी की दुकान पर नाके अपनी एक थैली में से ५ रुपये निकाल लिये तब थैली में जितने रुपये बचे उतने उस जवहरी को दे के उस से दो हीरे मोल लिये। इसी प्रकार से अपनी दूसरी थैली में से १५ रुपये ले के शेष रुपये उस जवहरी को दिये और २४ मानिक माल लिये और यों ही तीसरी थैली में से २५ रुपये ले के शेष रूपये जवहरी को दिये और उस से ५५ माती मोल लिये। उस में एक हीरा, एक मानिक और कमोती इन तीनों का मोल मिल के २ रुपये था। तो एक २ रत्र का अलग २ कितना माल था और हर एक थैली में कितने रूपये थे सो कहो? उत्तर, एक हीरे का मोल ७५ रुपये, मानिक का ५ रुपये और मोती का २ रुपये और हर एक थैली में १३५ रूपये थे। (ES) किसी महाजन ने ७००० रुपयों के दो विभाग कर के अलग २ भाव से रण दिये उस में बड़े विभाग में एक बरस में सौ रुपयों का जितना ध्याज था उस से छोटे विभाग में ३ रुपये अधिक था। पीछे कुछ काल में बड़े विभाग में सौ को एक रुपया ध्यान बहा दिया For Private and Personal Use Only

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