Book Title: Bijganit Purvarddh
Author(s): Bapudev Shastri
Publisher: Medical Hall Press

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Page 270
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir আগামীক্ষা মন। (४) १६८ रम संख्या के पांच विभाग ऐसे करो कि पहिले विभाग की ६ से मुण के फल में ५ जोड़ देगा, दूसरे को से गुण के ४ जोड देखो, तीसरे को ४ से गुण के बाड देखो, वा सो ३ मे गुण के २ नाह देओ और पांच को दो से गुण के १ जोड देओ तो सब योगा परस्पर समान हो। तो ये विभाग क्या हैं सो कहो? उत्तर, १९, २२, २९, ३६ और ५९.ये क्रम से विभाग हैं। ___(BC) एक बरस में सो रुपयों को ५ रुपये व्याज के भाव से किसी मनुष्य ने कुछ सण लिया । साढे तीन बरस में उस का व्यान पण छठवें अंश से १० रुपये अधिक हुमा। तो उस मनुष्य ने कितने रुपये असा लिया था सो कहो? उत्तर, १२०० रुपये। (५०) एक महामन ने १ बरस में सो रुपयों को ५ रुपये व्याज के भाष मे किसी मनुष्य को कुछ रुपये शुण दिया। उस मनुष्य ने चौथे बरस के अन्त में उस महाजन के सब रुपये व्याज समेत चुका दिये । परन्तु जो वह महाजन अन्त में सब व्याज चक्र वृद्धि से लेता तो उस को १५५ रुपये और १ आना इतना व्याज अधिक मिलता । तो उस मनुष्य ने उस महाजन से कितने रुपये रख लिया था सो कहो? उत्तर, १०००० रुपये। (५१) जिन दो संख्याओं में पहिली का और दूसरी का इन का योग १६ होता है और पहिली के में जो दूसरी का घटा देओ तो दो शेष रहता है वे संख्या क्या हैं? उत्सर, ३० र २४।। (५२) अनेक के पास जितने रुपये थे उतने और उस को दिये सबक ने प के पास जितने शेष बचे थे उसने उस को फेर दिये For Private and Personal Use Only

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