Book Title: Bijganit Purvarddh
Author(s): Bapudev Shastri
Publisher: Medical Hall Press

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Page 256
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकघातसमीकरणसम्बन्धि प्रश्न । (३) रे मेंर को उन्मिति से (२) रे में उत्थापन करने से य=ल + १२६ - १५३ = ल-२७, अब य और र दन के उमितिओं से (१) में उत्थापन करने से ल-२७+ ल+१२६ + ल = ५४०, :: ३ ल = ४४१ और ल = १४७ यह ग, का द्रव्य है । तब उत्थापन से, य = १२० यह अ, का धन, और र=२७३ यह क, का धन है। अथवा मानो कि य = अ, का धन तो य+ १५३ = क, का धन और य+ १५३ -- १२६ = य + २४ = ग का धन, :: य+य+ १५३+ य+२७ = ५४०, वा, य= ३६० : य= १२० यह अ, का धन है। तब उत्थापन से, य + १५३ -- १२० + १५३ = २७३ यह कका धन और य+२७ = १४७ यह ग, का धन है। यह उत्तर । प्रश्न ६ । जिस भित्र संख्या के अंश में २ जोड़ देने से उस का मान ३ और छेद में ३ मिला देने से उस का मान होता है वह भिन्न संख्या क्या है ? यहां मानो कि य = अव्यक्त भित्र संख्या का अंश और र- छेद है तो य = अध्यक्त भित्र संख्या होगी। .:. प्रश्न की बोली से, य+ २ = ३ और 4 - । (१) से, र= २य + , और (२) से र=३ य -३ ":. २+४=३य-३, :. य = ७ यह अंश है और उत्थापन से र -२य + ४ = १८ यह छेद है : यह अभीष्ट भित्र संख्या है। यह उत्तर। For Private and Personal Use Only

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