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freeम्बन्धि प्रकीर्णक ।
इस से सिद्ध होता है कि उद्दिष्टपद का अभीष्टमल वही पद है जिस का घातमापक उद्दिष्टपद के घातमापक में अभीष्टमूलमापक का भाग देने से लब्ध होता है और जिस में मूलपत्र वही है जो उद्दिष्टपद में है ।
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इस से यह स्पष्ट प्रकाशित होता है कि घातमापक का छेद मूलमापक है ।
(७) यदि एक हि पद के दो घातों के घातमापक भित्र हों त भी उन का गुणन में और भागहार में सवर्णन क्रम से इस प्रक्रम के
(२) रे और (३) रे प्रकार से होता है ।
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