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... एकवर्ण एकघातसमीकरण ।
4 (११ य - ३) = ७४२ - १० य छेदगम से, ४४ य- १२ = १२६१४ – १७० य :: २१४ य = १२६२६; और य = १२६२६ =५९ ।
इस भांति के समीकरण में अर्थात् जिस में सकल छेदों का लघुतमापवर्त्य बहुत बड़ा हो उस में पहिले जितने बहुत छेदों का लघुतमापवर्त्य छोटा हो उन को उड़ा के पक्षान्तरनयन से सब अभिन्न पदों को एक पत में कर देओ और फिर छेदगम कर के पूर्ववत् क्रिया करो। इस से समक्रिया में लाघव होगा।
२ य+ ३य-१३ _ ५ य+: .. उदा० (५) ११ , इस में य क्या है? यहां उक्तरीति से अंशों के छेदों को उड़ा देने से,
६० से गुण देने से, २० य +३ - २(४५ यु-१३) = २० य+१ पतान्तरनयन से, २ = २ (४५ २-१३), वा, ४५ य - १३ = १ छेदगम से, ४५ य - १३ = ५; ::४५ य = १८; और य = = ३ ।
अथवा जिस समीकरण के छेदों में छेद नहीं हैं केवल अंशों में हैं वहां पहिले साधारण रीति से छेदगम कर के पूर्ववत् क्रिया करते हैं। जैसा इस समीकरण में छेदगम से अर्थात छेदों के लघुतमापवर्त्य ३० से दोनों पक्षों को गुण देने से,
१० य + ३ - ६य + १३ -- १० य+ । ' पक्षान्तरनयन से, - ६-३-३-३ =-१-१३ घा, य = १ ५३ = १६ . य = = ३ ।
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