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Read outreमीकरण ।
३११
घन
८५ । उद्दिष्ट समीकरण में केन्द्रगम और पक्षान्तरनयन करने से जो अन्त में अव्यक्त का एकघात बचे तो उस को समक्रिया का प्रकार पूर्व प्रक्रमों में दिखलाया । परंतु जो अन्त में अव्यक्त का वर्ग, इत्यादि धात बचे तो पक्षान्तरनयन से समीकरण के सब पदों को बांए पक्ष में कर देना तब अर्थात् दहिना पक्ष शून्य होगा। फिर बांए पक्ष के जो (४१) वे प्रक्रम से शीघ्र खण्ड हो सकें और उन में जो किसी खण्ड में अव्यक्त का एकघात रहे तो उस खण्ड को शून्य के समान करो । तब पूर्वोक्त समक्रिया से जो व्यक्त का मान पावेगा वही उद्विष्ट समीकरण में अव्यक्त का मान होगा ।
जो उन खण्डों में दो वा तीन इत्यादि अनेक खण्डों में व्यक्त का एकघात रहे तो हर एक खण्ड को शून्य के समान कर के अलग २ समक्रिया करो तो व्यक्त के जो दो वा तीन इत्यादि मान द्यावेंगे उतने उद्दिष्ट समीकरण में अव्यक्त के मान होंगे ।
इसकी उपपत्ति प्रति स्पष्ट है । क्यों कि जिस समीकरण का दहिना पक्ष शून्य है उस के आए पक्ष का जो कोइ खण्ड शून्य हो तो उस बांए पक्ष का मान भी शून्य होगा । यों दोनों पक्ष शून्य के समान एकरूप होंगे । इसलिये उस शून्य तुल्य खण्ड से जो अव्यक्त का मान आवेगा वही (८१) वे प्रक्रम के (५) वे प्रकरण के अनुसार उद्दिष्ट समीकरण में अव्यक्त का मान होगा ।
..
उदा० (१) ४ य२. ५ य = ३८ - ९, इस में य क्या है?
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यहां पतान्तरनयन से,
५८२ - २८
य (५६ - २)
.. य = ० और ५ य उदा० (२) य२ = ९, इस में, पक्षान्तरनयन से, घर - ९ = ०
=0
०
.. य
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य क्या
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(य- ३) (य + ३) -
DER O
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