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भिषसम्बन्धि प्रकीर्णका।
- म
न
+म
(४) अ -न-म)। क्यों कि, *-भ,
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X
-न+म)
X
न+म
-
-न-म)
और, अ
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(५) जब कि वे इस काम घात = (अम
= अxxx इत्या० म गुण्यगुणकरूप पद = ब्र+न+न+ इत्या० मपट इस प्रक्रम के (२) रे प्रकार से
तो इस से सिद्ध होता है कि उद्दिष्टपद का अभीष्ट घात वही पद है जिस का घातमापक उद्दिष्टपद का घातमापक और अभीष्टघातमापक दन के मुणनफल के समान है और जिस में मलपद वही है जो उदिष्टपद में है।
इस का
(E) जब कि अ दस का म घात यह है तो अम मघातमूल अ यहो होगा।
अर्थात ऐसा फलित हुआ कि मनमनमम ।
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