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एकवर्ण एकघातसमीकरण । इस में रूप कहिये व्यक्त पद ।
इस में मसीकरण के किसी पक्ष में यदि एक वा अनेक कोष्ठ हों तो उन को पहिले (२४) वे प्रक्रम से उडा के फिर ऊपर का विधि करो। और समक्रिया के समय में जब दोनो पक्षों में किसी का अपवर्त लगता हो तब लगा के फिर क्रिया को बढ़ाओ और (३७) वे प्रक्रम का पहिला
और दूसरा अनुमान जहां पर लगे तहां उस को लगाओ। __ यहां अव्यक्त को = इस चिह्न की बांई ओर करते हैं और व्यक्त पदों को दहनी ओर करते हैं इस लिये बांई ओर के पक्ष को अव्यक्त पक्ष और दहनी ओर के पत्त को व्यक्त पत कहते हैं।
उदा० (१) ७ य+३ = २ य + २३, इस में य का मान क्या है ? पक्षान्तरनयन से, ७य-२ य = २३ -३ योग करने से,
५य =२० भाग देने से,
य=२० = ४, यह मान है। इस मान को उद्दिष्ट समीकरण में य के स्थान में रखने से ७४४+३=२४४+२३, वा, २+३=c+२३,
वा, ३१ = ३१ यह सरूप समीकरण हुआ इस लिये यहां जो य का मान ४ पाया है यह ठीक है । इस अव्यक्त मान की सत्यता दिखलाने हारे प्रकार को प्रतीति कहते हैं।
उदा० (२) १२ य-२१ = ३ य + ३३, इस में य का मान क्या है ? यहां ३ का अपवर्त करने से, . ४य-७ = य + ११ पतान्तरनयन से,
४य-य= ११+9 योग करने से,
३ य = १८ भाग देने से, उदा० (३) ४ य -२ =७ य -११, इस में य का मान क्या है ? पक्षान्तरनयन से, ४य- य-११+२
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