________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१८९
अध्याय ५।
इस में समीकरण का व्युत्पादन, एकवर्ण एकघातसमीकरण, अ. नेकवर्ण एकघातसमीकरण और एकघातसमीकरणसंबन्धि प्रश्न इतने प्रकरण हैं।
१ समीकरण का व्युत्पादन ।
८१ । जो दो पक्षों का साम्य दिखलाता है उस को समीकरण कहते हैं उस में उन दोनों पक्षों को = इस चिह्न की दोनों और लिखते हैं । यह समीकरण दो प्रकार का । एक प्राकृत समीकरण और एक कल्पित समीकरण ।
(१) जिस समीकरण के दोनों पक्ष एकरूप होते हैं वा जिस के दोनो पक्षों को सवर्णित करने से वे एकरूप हो जाते हैं उस को प्रा. कृत समीकरण कहते हैं।
जैसा। अ+य= अ+य, अथवा अ-य -य।
(२) विरूप समीकरण उस को कहते हैं जिस के दोनों पक्ष भिवरूप हैं और सर्णित करने से भी एकरूप नहीं होते केवल उन के मान परस्पर समान कल्पना किये हैं उस को कल्पित समीकरण कहते हैं।
जैसा । य+अक इस का अर्थ यह है कि य एक ऐसी नियत संख्या है कि निम में अको नोड़ देने से योग क के समान होता है।
(३) प्राप्त समीकरण के दोनो पक्षों का साम्य स्वाभाविक रहसा है इस लिये उस के पद वा पदों के मान यथेष्टकल्प्य अर्थात् जो चाहो सो हो सकते हैं। और कस्पित समीकरण के दो पक्षों का साम्य
For Private and Personal Use Only