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प्रकीर्णक । (३) ५ अय+ १० अन्य + ५ अ = ५ अश्य (अ+ २ अय+यर)
=५ अरेय (अ+य) । ... (४) ५य+१० यर+३यर+६ =५य (य+२र) +३र (य+२१)
= (५ +३र) (य+२२)। (५) अ+ अ + अ + ७ अ अ (अ+ + +७) ____ = अ{अ (+9) + (अ +9)} = अ (A+ १) (अ+७)।
[शनो उद्विष्ट राशि दो पदों के वर्षों का अन्तर है उस के खण्ड करने हों तो एक खण्ड उन दो पदों का योग, और एक उन दोनों का अन्तर ऐसे दो खण्ड होंगे। इस की उपपत्ति (३९) वे प्रक्रम के दूसरे सिद्धान्त से स्पष्ट है । जैसा,
(१) ४ अर-य = (२ +३य) (२ -३ य)। (२) १-2 = (१+ 1) (१-य) = (१+ य२) (१+ 1) (१ - 2)। (३) ४ अकर- (अ+कर-गर) = (२अक)- (अ+कर-ग)२
= (२ अक+अ+कर-गर)(२ अक-अर-कर+गर) = {(अ+क)२-- ग} {गरे- (अ-क)}
= (अ+क+ग)(अ+क-ग) (ग+अ-क) (ग-- +क)। इसी भांति सिद्ध करो कि (१) १२-२-ल+वर-२(यव-रल)
= (य+र-ल-व)(य-र+ल-व)। (२) अ-का= (अ+क) (A+क') (A+कर) (अ+क)(अ-क) (३) ४ (अघ+ कग)२- (अरे-क-गर+घ)२
=(-अ+क+ग+घ)(अ-क+ग+घ)(अ+क-ग+घ)(अ+++ग-घ) । [३] जो त्रियुक्पद य + पय +फ इस भांति का हो उस में जिन दो संख्याओं का गुणनफल फ होगा उन का योग जो प के समान हो तो (३९) वे प्रक्रम के तीसरे सिद्धान्त से उस त्रियुक्पद के खण्ड तुरन्त ज्ञात होंगे। जैसा,
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