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लघुतमापवर्त्य । (१५) य+ २३+२य - ४ य-८य-८ और य-२ य+२५ - ४ य-य-८ इन का लघुतमापवर्त्य क्या है ?
उत्तर, य-१६ । ५३ । तीन वा अधिक पदों का लघुतमापवर्त्य निकालने की रीति ।
पहिले उद्दिष्ट पदों में कोई दो पदों का लघुतमापवर्त्य निकाला फिर वह लघुतमापवर्त्य और शेष पदों में से कोई एक पद इन दोनों का लघुतमापवर्त्य जानो साहि फिर जितने शेष पद हो उतनी बेर करो तब अन्त में जो लघुतमापवर्त्य होगा वह अभीष्ट लघुतमापवर्त्य है। . इस को सिद्ध करने के लिये पहिले यह सिद्ध किया चाहिये कि जो दो राशि जिस किसी तीसरे राशि को निःशेष करते होंगे उस तीसरे राशि को उन दो राशिओं का लघुतमापवर्त्य भी निःशेष करेगा। • जैसा माना कि अऔर क ये ला को निःशेष करते हैं और इन का लघुतमापवर्त्य ल है तो ल भी ला को निःशेष करेगा।
क्यों कि जो ऐसा न कहो तो मानो कि ला में ल का भाग देने से फ लब्ध होता है और श शेष बचता है अर्थात् ला= फल + श ।
तब पतान्तरनयन से, श= ला- फल । इस से स्पष्ट प्रकाशित होता है कि जब अऔर क ये दोनों ला और ल को निःशेष करते हैं तो वे श को भी निःशेष करेंगे और श तो ल से अर्थात् अ और क इन के लघुतमापवर्त्य से छोटा माना है उस को क्यों कर निःशेष करेंगे? इस लिये ला में ल का भाग देने से शेष कुछ न रहेगा अर्थात् ला निःशेष होगा यह सिद्ध हुआ। _ इस को रेखागणित के सातवें अधाय के (३५) वे क्षेत्र में भी रेखाओं से सिद्ध किया है। ___ अब मानो कि अ और क इन का लघुतमापवर्त्य ल है और ग और ल इन का लघुतमापवर्त्य ला है तो ला यह अ, क और ग इन का लघुतमापवर्त्य होगा। ...
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