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freसम्बन्धि प्रकीर्णक ।
जब कि = तब (१८) वे प्रक्रम की दूसरी प्रत्यक्ष बात से
य+१+१, अर्थात् य+ल
=
य - र
और यू - १ = बल – १, अर्थात्
-
इस लिये उसी प्रत्यक्ष बात से
य+T
य - र
ल + व
र
व
अर्थात् य
..
=
+1 X
य + र
प्रथ कर
..
अर्थात्
दूसरा सिद्धान्त । जो य
और अय
गय
इस की उपपत्ति |
ब
-
अर्थात्
447
अनुमान । जो य+र्ल - वहा तो य=
र
ल+ब य र व
-
-
-
होगा ।
इस की युक्ति ऊपर के प्रकार के विलोम विधि से
लब यह सिद्ध हुआ । | ।
-
कर अल कव
घर गल
घव
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अय + कर गय + घर =
कर
घर
अय + कर कर
घ (आय + कर ) क (गय + घर)
X
अय + कर गय + घर
तब
=
:
+9=
14
इसी प्रकार सिद्ध होता है कि गय + घर,
घर
अब (१८) वे प्रम की दूसरी प्रत्यक्ष बात से,
चल + का
कव
X
I
त्राल
कव + १ अर्थात् अय + कर
कर
+
- घ
व
हो तो
ल
घर गय+घर
अय
चल = कर कव
अल + कटा गल + व
घ (अल + कव) क ( गल + घव)
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प्रय + कर चल + का गय + घर गल + घव
=
अल + का कव
1
1
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=
X
स्पष्ट है ।
अल + कटा कव
गल + घव घव
गल + घव घव
यह सितु हुआ 1
f
1
घव गल + घव
1
1
१६०