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xरय+र
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भिवपदों का भागहार। (४य+t)) ( ३ ) 1 यर-४१२) । = य+ यर + +
( +क)२ अई-कर अ-क (२५) अर-कर (अ+क)३ * (अ+क) _ (अर - का) (२+ क')
(अ+क)
५ भिन्नपदों का भागहार । हो । रीति भाजक के अंश और छेद को पलट देओ अर्थात अंश के स्थान में छेद को और छेद के स्थान में अंश को लिख देना फिर ऐमे भाजक से भाज्य को गुण देओ जो गुणनफल होगा सो अभीष्ट भजनफल है।
इस की उपपत्ति । मानो कि दस में का भाग देना है तो भित्रपद की रीति से
के यह लब्धि होगी। . अब इस के अंश और छेद को कघ से गुण देने से, xघ अध
= xयों उपपत्र हुआ। - १५ अय उदा० (१)
यर इस का भाग देओ। कार इस
मे कर इस १५ अश्य यर १५ अय १६ अकर
= कर *१६ अकरकर यर ' १५ x १६ अकर
---- इस में अंश और छेद को अपर्तित करने से कर रघर
क
gxकघ
कगघ
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