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भिवपदों का भागहार ।
न्यास।
-
-
इत्यादि।
१
+
रत्यादि।
रस प्रकार से यहां
य+
य य
य
इत्यादि, यह विस्तार से लब्धि है।
अब इस में य+१ रस भाजक के दोनों पदों को पलट के जो १+य इस का १ में भाग देओ तो ..
-१-य+4-+ इत्यादि यह लब्धि पाती है रम से १+य यह सिद्ध होता है कि
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