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भिन्नसम्बन्धि प्रकीर्णक । या १५ र ३१९ १६RC (१५) + + + १३ +4 इस का वर्गमूल
र र य२ + + त्या २५ र २७३ - इस का घनमूल =---
र श्य
कर 'श्य सय
३२+२
२+
१
य+२०---
४
१२+ ---
य
-४
य
-१
र
इस का घनमल
य
+
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१+ -
य-
+३य+
(१९) अ + अक इस का वर्गमूल = अ +:-
+ कर
- इत्यादि।
(२०) य+ १ इस का घनमूल = य+ १-+ इत्यादि ।
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+५१
क
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(
८ भिन्नसम्बन्धि प्रकीर्णक ।
छेदगम । हह । परस्पर समान धा विषम दो पक्षों में यदि एक वा अनेक भिजपद हो तो जिस क्रिया से उन दो पक्षों का साम्य वा वैषम्य न
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