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प्रकीर्णक । उत्थापन करी । इस उत्थापन से जिस अपवर्तन से उद्दिष्ट पद का मान शून्य होवे उस को मुख्य अक्षर (धा पद) में घटा देओ सो अन्तर उस उद्विष्ट पद का एक खण्ड होगा अर्थात् उस अन्तर से वह उद्दिष्ट पद निःशेष होगा।
उदा० (१) य२-७ य+१० इस का जो द्वियुक्पद खण्ड हो उस को अलग करो।
यहां अन्त के १० इस पद के १, २, ५ और १० इतने अपवर्तन हैं इन में पहिले य=+१ मान के उत्थापन करने से
१२-७४१+१०-१-७+ १० = ४ । फिर य = - १ मान के उत्थापन करने से
(-१)+9x१+१०=१+ +१०= १८ । फिर य = +२ मान के उत्थापन से
२२-७४२+ १० = 8-१४ + १० = ० ... यों २ इस दूसरे अपवर्तन से उद्दिष्ट पद का मान • होता है __.. य -२ यह उद्दिष्ट पद का एक खण्ड है। इसी भांति य =+५ मान के उत्थापन से
५२-७४५+ १० = २५ --३५+ १० = . . यों ५ इस तीसरे अपवर्तन को य के समान मानने से भी उद्दिष्ट पद का मान • होता है।
:: य-५ यह भी उद्दिष्टपद का एक खण्ड है। इस प्रकार से
य-७य + १० = (य-२) (य-५) यों खण्ड अलग हुए । उदा० (२) • य +२ य-य-६ इस में जो खण्ड द्वियुक्पद हों उनको अलग करो।
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