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प्रकीर्णक । ..जैसा । ५और ६ इन का गुणनफल ३० है । यह ३ से निःशेष होता है और ५ और ३ ये परस्पर दृढ हैं तो ६ यह संख्या ३ से निःशेष होगी। .. इसी भांति जो प्र-कर यह ग से निःशेष होता है और अ-क यह ग से दृढ है तो अ+ क यह अवश्य ग से निःशेष होगा। अर्थात् दो राशिओं के वर्गों का अन्तर जो किसी तीसरे राशि से निःशेष होता हो और वह तीसरा राशि उन दो राशियों के अन्तर से दृढ हो तो उन दो राशिओं का योग अवश्य उस तीसरे राशि से नि:शेष होगा ।
४५। जो अ और क ये दो राशि प्रत्येक ग से दृढ हों तो उन का अक गुणनफल भी ग से दृढ होगा। __ क्यों कि जो ऐसा न हो अर्थात ग और अक ये दोनों घ से निःशेष होते हों तो घ यह अऔर क इन दोनों से दृढ होगा (क्यों कि ग उन दोनों से दृढ है) और घ से अक अपवर्त्य है और असे दृढ है। इस लिये ऊपर के प्रक्रम से क यह घ से निःशेष होगा। परन्तु क तो घ से दृढ है सा क्यों कर निःशेष होगा? इस लिये अक यह ग से दृढ नहीं सो नहीं किन्तु दृढ हि है।
रेखागणित के सातवें अध्याय के चौबीसवे क्षेत्र में इस की उपपत्ति क्षेत्ररीति से भी दिखलाई है।
जैसा । ६ और ८ प्रत्येक ५ से दृढ हैं तो ६४८ अर्थात ४८ यह गुणनफल भी ५ से दृढ होगा।
इसी भांति । नो अ+क और अ-कये दोनों ग से दृढ हों तो अ- करे यह भी ग से दृढ होगा।
अनुमान १ । नो अराशि क, ग, घ इत्यादि प्रत्येक राशि से दृढ हो तो वह क, ग, घ इत्यादिओं के गुणनफल से भी दृढ होगा। - क्यों कि जब अ यह क और ग से दृढ है तो वह कयं इस गुणानफल से भी दृढ होगा और जब अ यह कग और घ से दृढ है तो यह उन के कगघ गुणनफल से भी दृढ होगा। ऐसा हि आगे भी जाना।
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