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महत्तमापवर्तन । . उदा० (३) ३ अक (य-र) और अघ (य - र)२ इन का महत्तमाप. धर्तन अ (य - र) है। ..
उदा० (४) २ (अ+ 2)२ (अ+३०), ३ (अ+ क) (अ+३ क)२ और ५ (+ क)२ (अ+३ क) इन का महसमापवर्तन (अ+ क) (+३ क) यह है।
४८। बीजात्मक दो संयुक्तपदों का महत्तमापवर्तन निकालने की रीति । • पहिले उद्दिष्ट पदों को सुधार के लिखो फिर संभव हो तो उन दोनों में ऐसे एक हि केवलपद का नि:शेष भाग देओ कि जिस से भागे हुए उद्विष्ट पद फिर किसी एक हि केवलपद से निःशेष होने के योग्य. न रहें। यों निःशेष भागे हुए उद्दिष्ट पदों को लघुपद कहो । और दोनों उद्दिष्ट पद यदि किसी एक हि केवलपद से निःशेष होने के योग्य न हों तो उद्दिष्ट पद हि लघुपद कहावें । - फिर उन दो लघु पदों में जिस एक पद में दूसरे का भाग लग सके उस में भाग देओ तब जो शेष बचेगा उस का उस के भाजक में भाग
ओ फिर भी जो शेष बचेगा उस से फिर वही विधि करो यों उन लघुपदों का परस्पर में भाग देने से जिस शेष से उस का भाजक निःशेष होगा वह उन दो लघुपदों का महत्तमापवर्तन है। अब जो उद्दिष्ट पद हि लघु हों तो उन का महत्तमापवर्तन यही होगा और जो उद्दिष्ट पद लघु न हों अर्थात भागे हुए उदिष्ट पद लघु हो तो उस भाजकरूप केवलपद में उन लघुपद्रों के महत्तमापवर्तन को गुण देओ वह गुणनफल उद्दिष्ट पदों का महत्तमापवर्तन है। __ यहां लघुपदों का महत्तमापवर्तन निकालने की जो रीति लिखी है उस की उपपत्ति (४३) वे प्रक्रम से स्पष्ट प्रकाशित होती है। अब जो उद्दिष्ट पद हि लघु हों तो जो लघुपदों का महत्तमापवर्तन है सो हि उद्दिष्ट पदों का होगा और नो भागे हुए उद्दिष्ट पद लघु हों तो
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