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प्रकीर्णक । उदा०। ३ य + ४ य+ ११ य - १० इस बहुयुक्पद के खण्ड करो। . इस में आदि के ३ इस वारद्योतक के १ और ३ ये दो अपवर्तन हैं और अन्त के १० इस पद के १, २, ५ और १० ये चार अपवर्तन हैं। इन में आदि के ३ इस अपवर्तन का अन्त के २ इस अपवर्तन में भाग देने से जो यह लब्धि पाती है इस को धन मान के वैसी को नो य के समान करके उत्थापन करो तो उद्दिष्ट बहुयुक्पद का मान शन्य होता है इस लिये उक्त प्रकार से ३ य-२ यह उद्दिष्ट पद का एक खण्ड होता है।
:.३य
४ य+११य-१० = (३ य-२) (य+२
+५) ।
अभ्यास के लिये उदाहरण ।
(१) य +११ य+३० = (य+५) (य+६)। (२) य-१६ य +६३ = (य-७) (य-६)।
य+२ अय-८अ = (य+४ अ) (य -२ अ)। (४) य+१४ य+६३ य+60 = (य + ३) (य+५) (य +६)। (५) य३-५ यर-२२ य+५६ = (य-२) (य+४) (य-७)। (E) य-२३-११ -२० =(य-५) (य+३य+४) । (७) य-२८ य+१५ = (य-५) (य+५ -३) । (८) अ +२ अक+ea = (अ+३ क) (अर-अक+३ कर) । () अ- २-१८ = (अ-३) (अ+२ +६)। (१०) अ + अश्य-अय+३ य = (अ+३ य) (अ-य) । (११) य+ अयः-२५ अयर-२६ अश्य +१२० अ
. = (य-२अ) (य+३अ) (य-४अ) (य+अ)। (१२) अ-१० +५ +१४ = (अ+१) ( -२) (अ+9-७) । (१३) य-१२ य + 8७ य-६० = (य-३) (यर - ४) (य२-५)।
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