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मक्रिया । उदा० (५) + य इस का वर्गमूल क्या है ? न्यास। + य (३+य-य+२ य - इत्यादि अनन्त ।
१+य) +य
+4+यर १+२ य-य२) -घर
-यर-२य+ १+२य- २५+२य)+२य-य
+२ +४ -४ +४य __-५य +8 य-
४ ० अ० । यहां वर्गमूल में अनन्त पद आते हैं। इस लिये इस को अनन्सश्रेठी कहते हैं। और इस को
V+य=+य-य+२ - १० प्र०यों लिखते हैं। और इस में यदि य का मान थोड़ा माना जाये तो दशमलयों में + य. इस का आसत्र वर्गमूल लेने के लिये यह श्रेठी बहुत काम की है। यहां य के कल्पित घोड़े मान से श्रेठी के दो या तीन पदों का उत्थापन करने से आसत्र मूल बनता है।
जेसा Vi+य, वा,V.५+ य =३+ -य+२य - ० अ० रस में यदि य = =.०१ मानो तो .२५+..१ वा V.RE =
+..१-(.०१)२ + २ (.०१)३ प्रासन =.५ + .०१-.०००१२.०००००२ -.५०९८०२ पासच।
अभ्यास के लिये और उदाहरण । (१) १९६ अय" इस का और (अ-क)गर इस का वर्गमूल क्या है?
उत्तर, १४ अयर पार । (-क)ग। (२) ६४ या इस का और - (य+र) (ल-a) इस का घनमल क्या है? ___ उत्तर, ४यर और - (य+र) (ल-ब)।
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