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. मलक्रिया । (३०) १+ ४ अय - ४ क्या इस का वर्गमूल क्या है ?
उत्तर, १+२ अय - २ (अ+ क) य+ ४ (अ + अक) यरे - इत्यादि अनन्त ।
३६ । बीजात्मक संयुक्तपद का कोड मूल निकालने का प्रकार ।
जब कि (अ+क)न = अन + न अन-क + .... तो इस पर से जाना जाता है कि उद्दिष्टघात को सुधार के लिखने से अर्थात् उस में किसी एक अक्षर के घातों के घातमापक उत्तरोत्तर घटते वा बढ़ते हुए रहें यों लिखने से अभीष्टमल के मलमापक का द्योतक न अतर मान के नो उद्दिष्ट घात के पहिले पद का नघातमूल आवे वह अभीष्टमूल का पहिला पद है । उस के नघात को समय उद्दिष्ट घात में घटा देने से जो शेष बचेगा उस के पहिले पद में मूल के पहिले पद के (न- १) घात को न से गुण के उस गुणनफल का भाग देने से अभीष्टमल का दूसरा पद मिलता है। फिर मल के ये दो पद मिल के जो एक द्वियु. क्पद बनेगा उस को अभीष्टमल का पहिला पद समझ के फिर पर्ववत् क्रिया करने से अभीष्टमल के सब पद स्पष्ट हो जायेंगे।
उदा० (१) य+६५-४० य +९६ य-६४ दस का घनमल क्या है ?
न्यास । य+६य -४० य+६६ य-६४ (A+२य-8।
३ य) +६य
य+६ +१२य+८ = (य+स्य)३ ३य') - १२य
य+६३५-४० य +९६ य-६४ = (य+२य-४)३
उदा० (२) य+ १२य + ४२ य--१८९५+३७८ य२-३२४ य + ८१ इस का चतुर्यातमूल क्या है?
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