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प्रकीर्णक । (२) यह सिद्ध करी कि (अ+कर) (ग+) यह (अग+कघ)२ इस से सर्वदा बड़ा होगा परंतु जो इस में अम, क =घ और अम = कघ, न हो।
(३) यह सिद्ध करो कि (अ-कर) (गर-घर) यह (अग-कघ) इस से सर्वदा छोटा होगा परंतु जो इस में अग, क = घ और अग== पाघ, न हो। (8) यह सिद्ध करो कि (अ+क) इस से ८ (
अ क') यह सर्वदा बड़ा होगा परंतु जो अऔर क परस्पर समान न हों।
३८ । संक्रमण । दो राशिओं के योग और अन्सर पर से उन दो राशिओं को जानने के प्रकार को संक्रमण कहते हैं।
मानो य और र ये दो अक्षर कोई दो राशिओं के घोतक हैं और इन में 2 बड़े राशि का और र छोटे राशि का द्योतक है और अ उन के योग का और क उन के अन्तर का योतक है।
सब य+र= अ और य-र=क होगा। .:. (य+र) + (य-र) =अ+कवा य= १ (अ+क) और
(य+र)-(य-र) = अ-कवा र ३ (प्र-क)। - इस से स्पष्ट है कि को दो राशिओं का योग और अन्तर इन के योग का आधा बड़े राशि के समान होता है और इन के अन्तर का आधा छोटे के समान होता है। भास्कराचार्यजी ने भी लिखा है कि, योगोऽन्तरेणानयुतोऽर्धितस्तो राशी स्मृतं संक्रमणाख्यमेतत् । ।
३६ । इस प्रश्नम में अनेक उपयोगि सिद्धान्तों को कहते हैं जो सामान्य गणित से उत्पन्न होते हैं। [१] जब कि (अ+क) = अ +२ अक+कर,
और (अ-क) = २-२ अक + करे। तो इस से स्पष्ट है कि कोई दो राशिओं के योग का और अन्तर
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