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प्रकीर्णक । का वर्ग क्रम से उन दो राशिओं के वयों के योग में उन्हीं दो राशिओं. के द्विगुणित गुणनफल को जोड़ देने वा घटा देने से तो बने उस के समान होता है । जैसा, (१) (३ +५य) = (३ अ)२+२(
३ ४५य)+ (य)२ __ = +३० अय+२५ यर । (२) (५य-१३)२ =२५ य२-१३० य+ १६८ । (३) (७५-८फ) = ४९ - ११२ पफ + ६४ फ। [२] जब कि (अ+क) x (अ-क) = अर-को
तो इस से जान पड़ता है कि कोई दो राशिओं के योग और अन्तर का गुणनफल उन के वर्गों के अन्तर के समान होता है । जैसा,
(१) (२ य +३) ४ (२ य -३र) = ४ य-हर। (२) (अ+क+ग) (अ+क-ग) = { (+क) + ग} {(अ+क)-ग}
= (अ+क)२- गर= अ +२ अक + क- गरे । (३) (य + यर+t) (य-यर+र) = {(य+र) + यर} + (य' + र) ~यर} = (य+T)२-(यर)२= य+क्या +rl-या य+At+र।
अनुमान । किसी राशि के समान दो विभागों का गुणनफल उस राशि के विषम दो विभागों के गुणनफल से बड़ा होता है। । ___ मानो कि २ अ एक राशि है और इस के अ+क और अ-क ये दो विभाग हैं तब इन दो विभागों का गुणनफल
( क) (प्र-क)- रे-कर यह होगा। अब जो क = • मानो तो अ-क इस गुणनफल का मान सब से बड़ा होगा यह स्पष्ट है। परंतु तब वे विभाग प्रत्येक के समान हांगे अर्थात् दोनों परस्पर समान होंगे । इस लिये समान हि दो विभागों का गुणनफल सब से बड़ा होगा। यह सिद्ध हुआ।
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