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प्रकीर्णक । - (१०) १६ +६४ यर- २२४ य३-५६ या + ३३६ यर-२१६ यर' + ८१र इस का चतुर्यातमूल क्या है?
उत्तर, २य+२ यर-३ ।
१ (११) - १५ य ल +६० यल-२७० याल' +४०५ यल --- २४३ ल' इस का पञ्चघातमूल क्या है?
उत्तर, य-३ल। (१२) य+१२य+६०य + १६० य+२४० + १९२ य+६४ इस का षड्यातमूल क्या है?
उत्तर, य+२
(१३) अ-अक+३८ अकर-५६ अक+७० अक -- ५६ अक' +२८ अक-अक+क इस का अष्टघातमल क्या है ?
उत्तर, अ-क।
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. प्रकीर्णक ।
समशाधन वा पतान्तरनयन ।
३७। बीजगणित में पद को वा पदों के समूह को पक्ष कहते हैं। ऐसे दो पक्षों में किसी एक हि राशि को वा दो समान राशियों को जोड़ देना वा घटा देना इस क्रिया को समशेधन कहते हैं।
जो दो पक्ष समान हों उन को = इस समस्वयोसक चिह की दोनों और लिख देने से जो रूप बनता है उस को समीकरण कहते हैं। और जब कि समान दो राशिओं में समान हि मिलाने से वा घटाने से उन का समत्व नष्ट नहीं होता इस लिये जो किसी समीकरण में समशोधन करो तो उस के पक्षों के समय का नाश न होगा।
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