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भागहार । न्यास। य-अ)य+तय+दय + न(4+(अ+त)य+ (अ+अत+द)
अ+त +द +न, य-अयर
+
(अ+त) य+दय (अ+त) य२- (अ+त य
(अ+त +द) य+न (अ+त+द)य-(अ+ त+दय)
अ+त +द +न । यहां भाज्य और शेष एकरूप हैं किन्तु भाज्य में जहां य अंतर है तहां शेष में अ अक्षर इतना हि विशेष है।
उदा० (५) यरे - यार ...६ अयर - १० यर + ३२ अयर - १२ अरेय -दर-२ अर+२१अर-५ अरे इस में य-४+ इस का भाग देखो।
न्यास। भाजक य-४ र + अ) भाज्य (लब्धि य+घर-७ अय+ +अर-५ अर ब-यर-अयर-१०पर+२अयर-१२ अय-दर-२पर+२९ अर-५ य-४यर+ श्रयः
+घर-७श्रय -१०यर+३२यर +यर
-१२पर+ अयर.
-७अय+२यर २६प्रयर-१२ प्रय -७श्रय
+२८अयर- ७ अश्य + २यर+ अयर- ५अय- +२यर
~E + प्रयर- ५ अय + अपर
-२ अर' +२ पर
-४पर+२१ अर -४ अर+ श्रर
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- ५ अय - ५श्रय
+ २० अर-५श्रो +२०अर-५
अथवा जैसे इस उदाहरण में तीन अक्षर हैं ऐसे नहां भाज्य और भानक में तीन वा चार अक्षर हों वहां उन अत्तरों में किसी एक असर
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