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भागहार । को मुख्य मान के भाज्य और भाजक में जो उस मुख्य अक्षर के और उस के घातों के अनेक सजातीय पद होंगे उन को (२७) वा (२८) वे प्रक्रम के अनुसार इकट्ठा करके लिखो। तब वैसे भाज्य में वैसे भाजक का भागहार के इसी तीसरे प्रकार के अनुसार भाग देओ।
जैसा। इसी उदाहरण में उतरीति से भाज्य और भाजक को बना के
न्यास।
भाजक य-(४र-अ)) भाज्य (लब्धिय + (३र-७ अ) य+ (२ + अर --५ ) या - (र+६) यर- (१०-३२ अर+१२ अर) य-( +२ अर-२१ अर+५) य- (४र- अ) या
+(३र-७) य- (१० -३२ अर+१२ अ) य +(३२-७ अ) य- (१२२-३१ अर+ ७ अर) य
+ (२२+ अर-५ अर) य-(८२+२ अर' -२१ अर+५श्र) + (२ + पर - ५ अ) य - ( + २ अर'.- २१ अर+ ५ श्र)
इस प्रकार से यहां लब्धि य+ (३२-७ अ) य + (RT +अर-५ अर) यह आई है इस में कोष्ठ को मिटा देने से य+३यर-अय+२+अर-५अ यही अभीष्ट लब्धि है।
उदा० (६) १ इस में १- य इस का भाग देओ।
म्यास । १-य) १ (१+य+य+य+ इत्यादि ।
य-यर
या-य
य--२४
य इत्यादि।
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